केपूर्ववर्ती फसल बीमा योजनाओं में उन्नत प्रौद्योगिकियों को न अपनाने के कारण बीमा दावों के निपटान में काफी विलम्ब होता था । नई योजना के तहत फसल कटाई के बाद एक माह के अन्दर राज्यों को सीसीई के आंकड़े बीमा कंपनियों को देने होते है और सीसीई के आंकड़े प्राप्त होने के ३ सप्ताह के भीतर बिमा कम्पनीयों को बिमा दावों का भुगतान करना होता है पूर्ववर्ती फसल बीमा योजनाओं में फसलों का उपज आंकलन बिना तकनीक (manually) के परम्परागत तरीके से किया जाता था जिससे फसल कटाई प्रयोग )सीसीई) के आंकड़े मिलने में बहुत विलम्ब होता था |
जिससे किसानों को दावों के भुगतान औसतन छह माह से एक साल तक का समय लगता था| इस विलंब को दूर करने और पारदर्शिता लाने के लिए फसल कटाई के आंकड़े अनिवार्य रूप से स्मार्टफोन प्रयोग कर सीसीई एप्प (CCE-agri) द्धारा फसल बीमा पोर्टल / सर्वर पर भेजने का प्रावधान किया गया है | जिसके चलते खरीफ 2016 फसल की कटाई नवम्बर से शुरू होकर दिसंबर में समाप्त होने के पश्चात दिसंबर के अंत से सीसीई के आंकड़े मिलने शुरू हो गए थे और जनवरी के अंत से बीमा दावों का भुगतान शुरू हो गए थे |
पहले मौसम में ही बिहार,तमिलनाडू, हरयाणा, कर्नाटक, ओडिशा ने पूर्णतया और गुजरात , झारखण्ड, पश्चिम बंगाल,आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश ने आंशिक रूप से स्मार्ट फोन द्वारा उपज आंकड़ों को सीसीई एप्प (CCE-agri) के माध्यम से प्रेषित किया है | खरीफ मौसम के कुछ क्षेत्रों में जहां उपज आंकड़ों के संबंध में राज्य एवं बीमा कंपनियों से विवाद है, को छोड़कर शेष राज्यों में दावों की गणना की जा चुकी है |
योजना में अधिक पारदर्शिता व समयबध्द बीमा भुगतान को बढ़ावा देने के लिए किसानों सहित विभिन्न हितधारकों को एक साथ जोड़ने के लिए राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल संचालित किया गया है | जिसमे किसानों के पंजीकरण हेतु आनलाइन सुविधा भी उपलब्ध है |
योजना में बटाईदारों सहित अन्य सभी गैर ऋणी किसानों का कवरेज बढाने के लिए अनेक किसान हितैषी, प्रशासनिक प्रयास और अनेक संभव तकनिकी माध्यमों का प्रयोग किया गया है जैसे खरीफ २०१७ से किसानों के नामांकन /पंजीकरण हेतु जन सुविधा केन्द्रों(सी एस सी ) को भी शामिल किया गया है |
करीब १२ लाख किसानों ने फसल बीमा के लिए आनलाइन पंजीकरण किया है|
बीमा दावों का भुगतान सीधे किसानों के बैंक खाते में जमा कराने हेतु प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT)|
बीमा दावों के पारदर्शी और त्वरित निपटान के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी का व्यापक प्रयोग : ड्रोन और दूर संवेदन आदि के प्रयोग का भी प्रावधान किया गया है|
Source: http://pib.nic.in/