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अंतरिक्ष विज्ञान का इस्तेमाल कृषि विकास के लिए अत्यंत उपयोगी होगा।

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह और डा. जितेंद्र सिंह, राज्यमंत्री, परमाणु उर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग, पूर्वोत्तर क्षेत्र, कार्मिक और लोक शिकायत विभाग की उपस्थिति में आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत सृजित परिसंपतियों की निगरानी हेतु भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों के उपयोग के लिए कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग के प्रभाग और राष्ट्रीय सुदूर एजेंसी के बीच समझौते पत्र पर हस्ताक्षर हुआ। इस मौके पर, श्री श्री शोभना के पट्टनायक, सचिव, डीएसी एंड एफडब्ल्यू, डा. किरण कुमार, अध्यक्ष, इसरो, निदेशक, एनआरएसए, डीएसी और एनआरएसए के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।

श्री राधा मोहन सिंह ने इस अवसर पर बताया कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) राज्यों को प्रोत्साहन देकर कृषि और संबंधित क्षेत्रों के विकास के लिए काम करती है। कृषि बागवानी, पशुपालन, मात्स्यिकी, डेरी आदि के क्षेत्र में अब तक इस योजना के तत्वाधान में 1.5 लाख से ऊपर परिसंपतियां सृजित/विकसित की गई है।

कृषि और समवर्गी क्षेत्र के परिसंपति के निर्माण कार्यकलाप को समझने, मांग एवं आपूर्ति के अंतर को कम करने तथा उन्हें व्यवस्थित करने के लिए विकसित परिसंपतियों की राष्ट्रीय सूची बनाने की आवश्यकता है।

श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि सरकार शासन में पारदर्शिता के प्रति वचनबद्ध है और परिसंपतियों की सूची तैयार करने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का विकास एवं उसका उपयोग एक स्वागत योग्य कदम है। सृजित परिसंपतियों की वास्तविक स्थिति जानना न केवल निगरानी व उपयोग में मदद करेगा किंतु भविष्य के लिए कृषि विकास की योजनाएं बनाने में भी अत्यंत उपयोगी होगा। श्री सिंह ने बताया कि यह प्रयासों के दोहरीकरण से बचाने में भी मदद करेगा तथा मंत्रालय की विभिन्न स्कीमों के बीच सामंजस्य स्थापित करने में मदद देगा।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने इस मौके पर कहा कि उपग्रह एवं रिमोट सेंसिग प्रौद्योगिकी द्वारा कृषि विकास में अपार संभावनाएं हैं और सरकार चाहती है कि इसके जरिए कृषि योजनाओं का लाभ किसानों तक समय से पहुंचे। कृषि मंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान के इस्तेमाल से किसान आदान परीक्षण/प्रदाता केंद्रों, भंडारण सुविधाओं, मंडियों, बाजार आदि मूलभूत सुविधाओं का समय पर उपयोग कर सकेंगे।

श्री सिंह ने कहा कि भू-संसाधन मानचित्रण, कीट प्रबंधन, मृदा स्वास्थ्य मानचित्रण, सुव्यवस्थित कृषि, फसल उपज अनुमान, सूखा और बाढ़ जैसी आपदाओं की पहचान और मूल्यांकन, अंतर्देशीय मात्स्यिकी, पशु पहचान एवं भेड़ के विचरण व विकास के क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का दोहन अभी बाकी है और यदि ऐसा होता है तो किसानों को जल्दी और सीधा लाभ मिलेगा। केंद्रीय कृषि मंत्री ने इस मौके पर आरकेवीवाई के तहत कृषि परिसंपति की निगरानी में अंतरिक्ष और रिमोट सेंसिग प्रौद्योगिकी को शामिल करने के लिए दोनों टीमों और राज्यों को उनके सराहनीय प्रयासों के लिए सराहना की।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने उम्मीद जताई कि वह दिन दूर नहीं जब किसान इंटरनेट और मोबाइल फोन के जरिए कृषि सेवाओं पर भू-स्थानिक सूचना प्राप्त कर सकेंगे। इसमें मृदा की स्थिति, उर्वरक की अपेक्षित मात्रा, बुआई हेतु अनुकूल स्थितियां, संभावित कीट आक्रमण, उपज का अनुमान, कस्टम हयरिंग के सुविधा केंद्रों का स्थान, भंडारण के लिए गोदाम और शीतागार, अपने उत्पाद को बेचने के लिए मंडी, पशु नस्लों की पहचान व उपलब्धता आदि जानकारियां शामिल है।

Source: http://pib.nic.in/



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