पकेन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह ने कहा बागवानी क्षेत्र को सामरिक विकास प्रदान करने के लिए, ताकि किसानों की आय में वृद्धि की जा सके, चमन नामक एक अग्रणी परियोजना तीन साल पहले नई सरकार द्वारा शुरू की गई है। यह परियोजना महालनोबिस नेशनल क्रॉप फोरकास्ट सेंटर (एमएनसीएफसी) द्वारा रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग कर कार्यान्वित की जा रही है और मार्च 2018 में पूरी होने की संभावना है। श्री सिंह ने यह बात आज कृषि भवन, नयी दिल्ली में ‘चमन’ पर दिए गए प्रस्तुतीकरण के दौरान कही।
श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि बागवानी क्षेत्र, कृषि क्षेत्र में विकास के प्रमुख चालकों में से एक है। यह क्षेत्र, लोगों को पोषक तत्वोंसे युक्त समृद्ध फसलें देता है और किसानों को बेहतर लाभकारी मूल्य प्रदान करता है जिससे उनकी आय में वृद्धि हो रही है। यह प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक क्षेत्रों में उच्च रोजगार के अवसर भी प्रदान करता है। इस प्रकार हाल के वर्षों में इसकी महत्ता बढ़ी है। यह गर्व की बात है कि भारत दुनिया में सब्जियों और फलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और यह विश्व में केला, आम, नींबू ,पपीता और भिंडी का सबसे बड़ा उत्पादक है।
चमन एक पायोनीर परियोजना है जिसमे किसान की आय बढाने के लिए तथा बागवानी क्षेत्र के सामरिक वकास के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है जो सात महत्वपूर्ण बागवानी फसलों के विश्वसनीय अनुमान तैयार करने की एक वैज्ञानिक पद्धति है। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को बागवानी फसलों के लिए अत्यंत उपयुक्त स्थान चिन्हित करके सही फसल पैदा करने में यह पद्धति मदद करती है ताकि उनकी आय में वृद्धि हो।
श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि चमन अध्ययनों के माध्यम से चिन्हित उच्च उपयुक्तता वाले झूम क्षेत्रों में खेती करने से पूर्वोत्तर क्षेत्रो के किसानों की आय में वृद्धि होगी। इसके अलावा चिन्हित जिलों में फसलोपरांत अवसंरचना विकास करके किसानों के फसलोपरांत होने वाले नुकसान में कमी आएगी तथा आय में वृद्धि होगी। फसल गहनता, फलोउद्यान का पुनरूद्धार और एक्वा-होर्टिकल्चर जैसी विकासात्मक अध्ययन के माध्यम से भी किसानों की आय को दोगुना करने में मदद मिलेगी।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि साईट उपयुक्तता अध्ययन की अंतरिम रिपोर्ट पूर्वोत्तर राज्यों को जनवरी 2018 तक सौंपने का प्रस्ताव है ताकि उस पर तुरंत अनुपालन के लिए विचार हो सके। साइट उपयुक्तता अध्ययन के तहत पायलट स्तर पर प्रत्येक पूर्वोत्तर राज्यों के एक जिले में एक फसल के लिए चिन्हित बंजर भूमि / झूम भूमि क्षेत्रों को राज्य सरकारों द्वारा उपयोग में लाया जाएगा ताकि प्राथमिकता पर इन क्षेत्रों के विकास की परियोजनाएं शुरू की जा सकें। इस परियोजना के पूरा होने पर महत्वपूर्ण बागवानी फसलों के लिए विकसित पद्धति को सभी राज्यों में प्रचालित किया जाएगा। पूरे देश में सभी प्रमुख बागवानी उत्पादक राज्यों में भू-स्थानिक अध्ययन किए जाएंगे।
श्री सिंह ने बताया कि इस परियोजना के पूरा होने पर, सभी राज्यों में, सात महत्वपूर्ण बागवानी फसलों के लिए विकसित की जाने वाली पद्धति को कार्यान्वित किया जाएगा। देश में सभी प्रमुख बागवानी उत्पादक राज्यों में भू-स्थानिक अध्ययन किए जाएंगे तथा रिमोट सेंसिंग तकनीकि द्वारा भविष्य में अन्य बागवानी फसलों का भी आकलन किया जायेगा।
Source: http://pib.nic.in/