पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग ने "श्वेत क्रांति" योजनाओं के अंतर्गत एक अभिनव पहल के रूप में, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) द्वारा सहकारी डेयरी समितियों के लिए एक "गुणवत्ता निशान" पुरस्कार योजना की पहल का स्वागत किया है ताकि दूध और दुग्ध उत्पादों की सुरक्षा, गुणवत्ता और स्वच्छता को और प्रोत्साहित किया जा सके। इसका उद्देश्य उत्पादक से उपभोक्ता तक पूरी मूल्य श्रृंखला में प्रक्रिया सुधार के द्वारा घरेलू और विदेशी बाजार दोनों में दूध और दुग्ध-उत्पादों की एक सुरक्षित और उत्तम गुणवत्ता की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
एक वर्ष से अधिक तक इस प्रक्रिया और पुरस्कार व्यवस्था पर लम्बे विचार-विमर्श के बाद यह गुणवत्ता निशान योजना 6 जनवरी-2016 को शुरू की गई थी। इस पहल में खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता प्रबंधन के लिए कोई नया / अतिरिक्त सिस्टम प्रस्तावित नहीं किया गया है, अपितु यह आवश्यक प्रक्रियाओं के प्रत्येक बिंदु के लिए न्यूनतम मानकों को निर्धारित करता है ताकि उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) 1998 के ट्रेडमार्क अधिनियम के तहत गुणवत्ता चिह्न का लोगो दर्ज करने की प्रक्रिया में है। गुणवत्ता चिह्न के मानदंडों को पूरा करने वाली डेयरी इकाइयों को दूध और दूध उत्पादों की पैकिंग पर इस लोगो का उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी तथा गुणवत्ता चिह्न की अनुमति एक विशिष्ट डेयरी यूनिट एवं उस यूनिट में एक विशिष्ट उत्पाद प्रक्रिया सम्बंधित होगी। यह चिन्ह पैकेजिंग पर ही छापा जा सकता है या फिर एक लेबल के जरिये उत्पाद की पैकिंग पर चिपकाया जा सकता है।
दुग्ध और दुग्ध-उत्पादों के पैकेजों पर गुणवत्ता चिह्न का लोगो/प्रतीक यह इंगित करता है कि इस डेयरी यूनिट ने निर्धारित गुणवत्ता मानकों के अनुसार दूध और दूध उत्पादों के निर्माण में खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली के अनुसार आवश्यक सभी प्रक्रियाओं को अपनाया और कार्यान्वित किया है। इसका मूल्यांकन एक दो चरण प्रक्रिया है और वे चरण हैं पूर्व-मूल्यांकन और अंतिम मूल्यांकन। पूर्व-मूल्यांकन मुख्यतः गांव के स्तर पर खरीद और प्रसंस्करण की बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता, जन प्रशिक्षण एवं खुदरा बिक्री पर ध्यान केन्द्रित करता है।
केवल वे डेयरी इकाइयां जो प्रारंभिक मूल्यांकन में 70% से अधिक अंक अर्जित करती हैं वही अंतिम मूल्यांकन के लिए चुनी जाती हैं और यह अंतिम मूल्यांकन तीन विशेषज्ञों की एक टीम के द्वारा किया जाता है, जिनमें से एक विशेषज्ञ बाहर से होता है। अंतिम मूल्यांकन 45 महत्वपूर्ण और 97 प्रमुख मापदंडों के आधार पर किया जाता है जो संसाधित दूध और दूध उत्पादों की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। गुणवत्ता चिह्न का पुरस्कार गुणवत्ता, खाद्य सुरक्षा मानकों का अनुपालन तथा समझौते की अन्य नियमों और शर्तों के अनुपालन के अधीन यह तीन वर्षों के लिए वैध होगा।
गुणवत्ता चिह्न के लिए दिशानिर्देश दस्तावेज को अंतिम रूप नवंबर 2014 और 11 अगस्त, 2015 को आनंद और दिल्ली में हुई बैठकों में सामूहिक विचार-विमर्श के आधार पर दिया गया था। इस गुणवत्ता चिन्ह को पाने के लिए इच्छुक राज्य दूध संघों / सहकारी डेयरियों / शैक्षिक संस्थानों / सरकारी डेयरियों आदि को गुणवत्ता चिह्न प्रबंधन (क्यूएम) दस्तावेज के अनुसार आवेदन करना होता है।
एनडीडीबी द्वारा 6 जनवरी, 2016 को गुणवत्ता चिह्न की शुरुआत करने के बाद से एनडीडीबी ने गुणवत्ता चिह्न हासिल करने के लिए अब तक 53 आवेदन प्राप्त किए हैं। (इसमें कर्नाटक -13, मदर डेयरी -8, पंजाब -4, तमिलनाडु -5, हरियाणा -4, बिहार -11 , महाराष्ट्र -4, एमपी -4). 53 में से 30 आवेदनों का आकलन कर लिया गया है और एनडीडीबी द्वारा 13 डेयरी यूनिटों को गुणवत्ता चिन्ह लोगो के लिए पात्र पाया गया है।
Source: http://pib.nic.in/