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कृषी समाचार: खरीफ-पूर्व विमर्श का आयोजन राजधानी में किया गया |

कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग (एसी एंड एफडब्ल्यू) तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के बीच खरीफ-पूर्व विमर्श का आयोजन पिछले सप्ताह राजधानी में किया गया था। विमर्श की अध्यक्षता एसी एंड एफडब्ल्यू के सचिव और सह-अध्यक्षता कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव ने की थी। विमर्श में एसी एंड एफडब्ल्यू, पशुपालन, डेरी एवं मत्स्य पालन तथा आईसीएआर/ डीएआरई के वरिष्ठ अधिकारी भी सम्मिलित हुए।

खरीफ-पूर्व विमर्श का उद्देश्य उभरते हुए अनुसंधान योग्य क्षेत्रों की संयुक्त पहचान और रणनीति बनाना है, ताकि योजनाओं और कार्यक्रमों का बेहतर कार्यान्वयन हो सके। मंत्रालय के पास अनुसंधान और प्रौद्योगिकी/कृषि प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण और समकालीन मुद्दों की पहचान के लिए एक बेहतरीन संस्थागत प्रणाली मौजूद है। इसकी शुरूआत क्षेत्रीय सम्मेलन से होती है जिसमें जनवरी माह में कृषि संबंधी सूचनाएं एकत्र होती हैं। इसके मद्देनज़र एसी एंड एफडब्ल्यू/ पशुपालन, डेरी एवं मत्स्य पालन के विभागीय प्रमुख राज्य प्रतिनिधियों के साथ बैठक करते हैं और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करते हैं। इस चर्चा को आगे मंत्रालय स्तर पर ले जाया जाता है तथा एसी एंड एफडब्ल्यू के सचिव की अध्यक्षता में होने वाले विमर्श में प्रस्तुत किया जाता है।

खरीफ-पूर्व विमर्श के दौरान चर्चा होने वाले विषयों और सुझावों को भावी खरीफ अभियान 2017 राष्ट्रीय सम्मेलन में राज्य प्रतिनिधियों के सामने पेश किया जाएगा। इसके आयोजन की तिथि 25-26 अप्रैल, 2017 है। इसके अलावा सभी अनुसंधान योग्य मुद्दों को आईसीएआर के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

विमर्श के दौरान फसल, बीज, पौधों का संरक्षण, बागवानी, खेती का मशीनीकरण एवं प्रौद्योगिकी, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, एकीकृत पोषण प्रबंधन जैसे विषयों पर संयुक्त रूप से विचार किया गया। विमर्श में हिस्सा लेने वाले सभी सदस्यों की राय थी कि मंत्रालय के तीनों विभागों के बीच नजदीकी समन्वय और सहयोग होना चाहिए ताकि खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और कृषि क्षेत्र का विकास हो सके। अध्यक्ष महोदय ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने संबंधी माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुपालन के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

कुछ महत्वपूर्ण निर्णय इस प्रकार हैं –
- गुण और जेनेटिक शुद्धता तय करने के लिए जारी होने वाली किस्मों की डीएनए पहचान का ब्यौरा तैयार किया जाए।
- 2011 के बाद आईसीएआर द्वारा जारी फसलों की विभिन्न किस्मों को भारत भर में प्रोत्साहित करना ताकि अन्य किस्में भी उपलब्ध हो सके।
- विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के अलावा देशभर में गन्ने की खेती के लिए डीएसी एंड एफडब्ल्यू के सचिव ने ड्रिप सिंचाई प्रौद्योगिकी को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने इस संबंध में महाराष्ट्र सरकार द्वारा बनाए गए कानून का भी उल्लेख किया।
- राज्य सरकारों से आग्रह किया गया कि 2011 के बाद जारी होने वाली अऩुमोदित किस्मों के बीजों को अपने-अपने राज्यों में तैयार रखें।
- दोनों सचिवों ने इस बात सहमति व्यक्त की कि उचित प्रौद्योगिकीयों के जरिए किसान समुदाय की समस्याओं को हल किया जाए।
- डीएसी एंड एफडब्ल्यू सचिव ने आदेश दिया की जिप्सम आपूर्ति के विभिन्न स्रोतों की पहचान की जाए ताकि तिलहन और दलहन की उत्पादकता बढ़ाने के लिए जिप्सम उपलब्ध रहे। इसके अलावा जमीन की गड़बड़ियों का उपचार भी किया जाए।
- विमर्श में संयुक्त रूप से फैसला किया गया कि नई दिल्ली स्थित आईएआरआई में शहर की जांच करने के लिए एक समेकित प्रयोगशाला बनायी जाए ताकि शहद उत्पादन को बढ़ावा देना आसान हो सके।
- डीएआरई के सचिव ने मूंगफली, सूरजमुखी और केस्टर की ट्रांसजैनिक किस्मों के विकास पर बल दिया, ताकि कीटाणुओं और रोगों से बचाव हो सके।

Source:http://www.pib.nic.in

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