माननीय केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि सूखे की समस्या से स्थायी निजात पाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) की शुरुआत की गई है। इस योजना के मिशन मोड वाले क्रियान्वयन में तीन मंत्रालय सम्मिलित हैं जिसकी अगुवाई जल संसाधन मंत्रालय कर रहा हैं। पीएमकेएसवाई का उद्देश्य न केवल सुनिश्चित सिंचाई हेतु स्रोतों का सृजन करना है, बल्कि ‘जल संचय’ और ‘जल सिंचन’ के माध्यम से सूक्ष्म स्तर पर वर्षा जल का उपयोग करके संरक्षित सिंचाई का भी सृजन करना है। यह बात उन्होंने आज विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित भारत जल सप्ताह-2017 के समापन सत्र में कही। समापन सत्र में कार्यक्रम का मुख्य विषय वस्तु था “समावेशी विकास के लिए जल एवं ऊर्जा”।
इस मौके पर माननीय मंत्री श्री नितिन गडकरी जी, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय एवं सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं नौवहन मंत्रालय, माननीय राज्य मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह जी, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय, माननीय राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल जी, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण तथा संसदीय कार्य मंत्रालय, डॉ. अमरजीत सिंह, सचिव, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय भी मौजूद थे।
कृषि मंत्री ने कहा कि भारत में विश्व की आबादी की 17 प्रतिशत जनसंख्या तथा 11.3 प्रतिशत पशुधन निवास करते हैं, जबकि अपने देश में विश्व का मात्र 4 प्रतिशत जल संसाधन उपलब्ध है। ऐसे में हमारे समक्ष इतनी बड़ी मानव तथा पशुधन आबादी को पानी की आपूर्ति करने की अभूतपूर्व चुनौती है।
उन्होंने कहा कि देश में कुल 200.8 मिलियन हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है जिसमें से मात्र 95.8 मिलियन हेक्टेयर भूमि सिंचित है जो कि कुल क्षेत्रफल का केवल 48 प्रतिशत है, अतः 52 फीसदी असिंचित कृषि भूमि में उन्नत कृषि अपनाने हेतु आवश्यक जल की आपूर्ति कराना भी चुनौतीपूर्ण होगा। समुचित जल प्रबंधन करके ही इस चुनौती का सामना करना संभव है।
कृषि मंत्री ने कहा कि 2015-16 से 2019-20 के दौरान 50,000 करोड़ रुपये निवेश कर संपूर्ण सिंचाई आपूर्ति श्रृंखला, जल संसाधन, वितरण नेटवर्क और खेत-स्तरीय अनुप्रयोग समाधान विकसित करके ‘’हर खेत को पानी’’ उपलबध कराया जाएगा।
Source: http://pib.nic.in/