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देशी नस्लों के संरक्षण हेतु दो "नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर"स्थापित किए जा रहे है।

कृषि मंत्री ने रतनमन, बभनगामा, बेगूसराय में देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ द्वारा आयोजित किसान सम्मेलन में कहा कि उपभोक्ताओं की रुचि धीरे धीरे अधिक प्रोटीन वाले उत्पादों की ओर बढ रही है एवं वेल्यु एडेड (मूल्य वर्द्धि) उत्पादों का चलन भी बढने के कारण दूध की मांग तेजी से बढ रही है। गत 15 वर्षों में दुग्ध सहकारी संस्थाओं ने अपने कुल उपार्जित दूध के 20% हिस्से को वेल्यु एडेड (मूल्य वर्द्धि) दुग्ध पदार्थों मे परिवर्तित किया है जिससे तरल दूध की अपेक्षा 20% अधिक आय प्राप्त होती है। ऐसी अपेक्षा है कि वर्ष 2021-22 तक 30% दूध को मूल्य वर्द्धि पदार्थों मे परिवर्तित किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि देश में पहली बार देशी नस्लों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु एक नई पहल “राष्ट्री य गौकुल मिशन” की शुरुआत दिसम्बर 2014 में की गई। योजना के अंतर्गत अब तक 28 राज्यों से आए प्रस्तावों को 1,348 करोड़ रुपए की राशि के साथ स्वीकृत किया जा चुका है और अब तक 503 करोड़ रुपए की राशि जारी की जा चुकी है। राष्ट्रीय गौकुल मिशन के ही अंतर्गत गोकुल ग्राम स्थापित करना अन्य घटको के साथ शामिल है। गौकुल ग्राम देशी प्रजाति के पशुओं के विकास के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करेंगे और ये प्रजनन क्षेत्र में किसानों को पशुओं की आपूर्ति हेतु संसाधन का काम भी करेंगे। योजना में 18 गोकुल ग्राम विभिन्न12 प्रदेशों मे स्थापित किए जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि देश में देशी नस्लों के संरक्षण हेतु दो "नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर" एक दक्षिण भारत चिंतलदेवी आंध्र प्रदेश में तथा एक उत्तर भारत इटारसी मध्य प्रदेश में स्थापित किए जा रहे है। इसके तहत 41 गोजातीय नस्लों और 13 भैंस की नस्लों को संरक्षित किया जाएगा। आंध्र प्रदेश मे "नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर" देश को समर्पण हेतु तैयार है।

कृषि मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत राष्ट्रीय बोवाइन उत्पादकता मिशन की शुरुआत 825 करोड के आवंटन के साथ नवम्बर 2016 में की गई। इसका उद्देश्य दुग्ध उत्पादन एवं उत्पादकता में तेजी से वृद्धि तथा दुग्ध उत्पादन व्यवसाय को अधिक लाभकारी बनाना है। देश मे पहली बार राष्ट्रीय बोवाइन उत्पादकता मिशन के अंतर्गत ई पशुहाट पोर्टल नवम्बर 2016 में स्थापित किया गया है। यह पोर्टल देशी नस्लों के लिए प्रजनकों और किसानों को जोड़ने मे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

उन्होंने बताया कि विश्व बैंक पोषित राष्ट्रीय डेयरी प्लान फेस -I योजना का कार्यांवयन एनडीडीबी (राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड) द्वारा राज्य सरकार के माध्यम से संबंधित राज्य की सहकारी दुग्ध संगठनों/दुग्ध फेडरेशन के द्वारा किया जा रहा है। इसी योजना के अंतर्गत बिहार के लिए कुल 29 परियोजनाओं को रू. 64.46 करोड के अनुदान राशि के साथ अनुमोदित किया जा चुका है। इसके समक्ष दिसम्बर 2017 तक रू. 37.04 करोड की राशि प्रदान की जा चुकी है। इस योजना का लाभ 2,928 ग्रामों में 1 लाख 5 हजार दुग्ध उत्पादकों तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है।



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