उपराष्ट्रपति श्री एम. वैंकेया नायडू ने कहा कि कृषि क्षेत्र को टिकाऊ और लाभदायक बनाने के लिए इसमें नवाचार के तरीकों को शामिल किया जाना चाहिए। वे आज असम के जोरहाट में असम कृषि विश्वविद्यालय के एक वर्ष तक चलने वाले स्वर्ण जयंती समारोह के उद्घाटन अवसर पर संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर असम के राज्यपाल श्री जगदीश मुखी, असम के कृषि मंत्री श्री अतुल बोरा और अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि दलहनों और तिलहनों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना देश के समक्ष बड़ी चुनौती है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हमारे कृषकों के समर्पण और हमारी प्रयोगशालाओं में किए जा रहे नवीनतम अनुसंधानों से हम जल्द ही इन दो फसलों में भी आत्मनिर्भरता हासिल कर लेंगे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्थायी खाद्य सुरक्षा के लिए देश को हमारे कृषि क्षेत्र की बदलती जरूरतों के अनुरूप प्रभावी उपाय करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, गिरता मृदा स्वास्थ्य, कम होते जल संसाधन और लुप्तप्राय जैव-विविधता जैसी वर्तमान समस्याओं से कृषि क्षेत्र प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि कार्य अधिक खर्चीला बनता जा रहा है और इसलिए लोग इससे दूर हो रहे हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि पहले की तुलना में अब कम लोग कृषि करना पसंद करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें अधिक कुशल, अभिप्रेरित व्यक्तियों और संस्थानों की आवश्यकता है, जो परंपरागत से हटकर सोचे और नवाचार को बढ़ावा दें।
उपराष्ट्रपति ने वैज्ञानिकों और सरकारों से आग्रह किया कि वे किसानों को विविधता अपनाने और डेयरी, मुर्गी, मछली पालन जैसे कृषि से जुड़े कार्य करने के लिए प्रेरित करें, क्योंकि केवल उत्पादन बढ़ाने से ही लोगों को कृषि क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि संपूर्ण पूर्वोत्तर क्षेत्र में डेयरी और मांस उत्पादों की काफी मांग है, जो पूरी नहीं हो पाती है इसलिए इस चुनौती को अवसर में बदलने की आवश्यकता है। खेतों में मेहनत करने वाले किसानों को ज्ञान, वित्तीय ऋण, गोदाम और बीमा सुविधाएं प्रदान कर सशक्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें दोबारा सोचने और कृषि, शिक्षा तथा अनुसंधान को अधिक ऊर्जावान बनाने की आवश्यकता है।