मानसून पर खेती की निर्भरता कम करने के उद्देश्य से सरकार ने हर खेत को पानी पहुँचाने के लिये प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना स्वीकृत की है। इस योजना में तीन मंत्रालयों, नामतः जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरुद्धार मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय तथा कृषि मंत्रालय की विभिन्न जल संरक्षण, संचयन एवं भूमिजल संवर्धन तथा जल वितरण सम्बन्धित कार्यों को समेकित किया गया है। इस योजना के लिये अगले पाँच वर्षों के लिये 50000 करोड़ आवंटित किया गया है।
राज्यों द्वारा धनराशि के प्रयोग तथा उनकी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए वर्षवार उपयोग तथा कुल आवंटित धनराशि भी इस कार्यक्रम के लिये बढ़ाई जा सकती है जिससे कि हर खेत को पानी तथा प्रति बूँद, अधिक फसल उत्पादन के साथ-साथ पूरे देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो जाए। योजना के उद्देश्यों की उपलब्धि के लिये मुख्यतः तीन मंत्रालयों नामतः जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरुद्धार मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय तथा कृषि मंत्रालय के सहभागिता द्वारा विभिन्न कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
विगत कई दशकों के प्रयास के बावजूद कृषि योग्य भूमि का अधिकांश भाग वर्षा आधारित है। वर्षा के अभाव में किसानों को विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। इसी समस्या को ध्यान में रखकर “प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना” स्वीकृत की गई है, जिसका मुख्य उद्देश्य उपजिला/जिला स्तर तथा राज्य स्तर पर सिंचाई योजना तैयार कर, खेतों तक जल पहुँचाना, कृषि योग्य भूमि का विस्तार करना, सुनिश्चित सिंचाई का प्रबंधन, जलाशय पुनर्भरण, सतत जल संरक्षण प्रणाली प्रचलनों के साथ-साथ भूमि जल सृजन, पानी के बहाव को रोककर उपयोग में लाना तथा जल उपलब्धि के अनुसार फसलों का चयन एवं आधुनिक सिंचाई प्रणाली, ड्रिप एवं स्प्रिंकलर कार्यक्रम को लागू करना है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय मुख्य रूप से मृदा एवं जल संरक्षण हेतु छोटे तालाब, जल संचयन संरचना के साथ-साथ छोटे बाँधों तथा सम्मोच्च मेढ निर्माण आदि कार्यों का क्रियान्वयन राज्य सरकार के माध्यम से समेकित पनधारा प्रबंधन कार्यक्रम के तहत करेगा।
जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरुद्धार मंत्रालय संरक्षित जल को खेत तक पहुँचाने के लिये नाली इत्यादि विकास के साथ-साथ त्वरित सिंचाई लाभ सम्बन्धी कार्यक्रम समयबद्ध तरीके से पूर्ण करेगा। इसके अन्तर्गत निम्न स्तर पर जल निकाय सृजन, नदियों में लिफ्ट सिंचाई योजना, जल वितरण नेटवर्क तथा उपलब्ध जलस्रोतों के मरम्मत, पुनर्भण्डारण तथा सृजन का कार्य मुख्य रूप से किया जाएगा।
कृषि मंत्रालय, कृषि एवं सहकारिता विभाग, वर्षाजल संरक्षण, जल बहाव नियंत्रण कार्य, जल उपलब्धता के अनुसार फसल उत्पादन, कृषि वानिकी, चारागाह विकास के साथ-साथ कृषि जीविकोपार्जन के विभिन्न कार्यक्रमों को भी चलाएगी। जल प्रयोग क्षमता बढ़ाने के लिये सूक्ष्म सिंचाई योजना (ड्रिप, स्प्रिंकलर, रेनगन आदि) का उपयोग विभिन्न फसलों की सिंचाई के लिये किया जाएगा।