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मछली उत्पादन में भारत ने प्रगति की है।

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है ई.ई.जेड में मत्स्यन के लिए पूर्व में लागू की गयी “लेटर ऑफ परिमट” या “एल.ओ.पी.” व्यवस्था को जनवरी 2017 से बंद कर दिया गया है तथा पारम्परिक मछुआरों के हितों को ध्यान में रखते हुए 12 समुद्री मील के बाहर का क्षेत्र, जो भारत सरकार दवारा विनियमित होता है, उसमें विशेष प्रावधान किए गये हैं, जैसे कि मानसून के दौरान ई.ई.जेड. में लागू फिशिंग बैन से पारम्परिक मछुआरों को छूट दे दी गयी है।

मत्स्यन के लिए एल.ई.डी. लाइट /अन्य कृत्रिम लाइट के प्रयोग पर तथा बुल- ट्रालिंग या पेयर-ट्रालिंग पर हाल में ही 10 नवंम्बर,2017 को पूरी तरह से रोग लगा दी गयी है। फिशिंग बैन की अवधि को सभी तटवर्ती राज्य सरकारों से सलाह करते हुए, 47 दिन से बढ़ाकर 61 दिन किया गया है।

श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि देश में मात्स्यिकी क्षेत्र में समेकित विकास के लिए भारत सरकार द्वारा रु.3000 करोड़ के परिव्यय के साथ एकछत्र योजना ‘नीली क्रांति' की शुरूआत की गई है । जिसके फलस्वरूप, समग्र मछली उत्पादन में गत तीन वर्षों में तुलनात्मक रुप में लगभग 18.86% की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि अंतः स्थलीय मात्स्यिकी क्षेत्र में 26% वृद्धि दर्ज की गई है।

सभी प्रकार के मत्स्य पालन (कैप्चर एवं कल्चर) के उत्पादन को एक साथ मिलकर, 2016-17 में देश में कुल मछली उत्पादन 11.41 मिलियन टन तक पहुँच गया है। श्री सिंह ने आगे कहा कि देश में डेढ़ करोड़ लोग अपनी आजीविका के लिए में मात्स्यिकी क्षेत्र में कार्यरत हैं। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने ये बातें आज राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र (एनएएससी) परिसर, पूसा रोड, नई दिल्ली में “विश्व मात्स्यिकी दिवस” के मौके पर आयोजित एक कार्यकम में कही।

उल्लेखनीय है कि हर साल 21 नवंबर विश्व मात्स्यिकी दिवस के रूप में दुनिया भर में मनाया जाता है। भारत में, जो दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, विश्व मात्स्यिकी दिवस 21 नवंबर, 2014 से मनाया जा रहा है और यह लगातार चौथे वर्ष मनाया जा रहा है। इस साल का विषय है "2022 का है सपना .... किसान की आय हो दुगुना - संकल्प से सिद्धी" । श्री राधा मोहन सिंह ने विश्व मात्स्यिकी दिवस समारोह का उद्घाटन भी किया। श्रीमती कृष्णा राज, कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री भी इस अवसर पर उपस्थित थीं।



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