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पिछले 15 वर्षों से भारत विश्व में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक देश बना हुआ है।

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह ने “राष्ट्रीय दुग्ध दिवस” पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि भारत विश्व में उस पटल पर पहुँच गया है जहाँ दुग्ध व्यवसाय में वैश्विक स्तर पर उद्यमियों के लिए अनेक संभावनाएँ उभर कर सामने आ रही है। पिछले 15 वर्षों से भारत विश्व में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाला देश बना हुआ है। इस उपलब्धी का श्रेय दुधारू पशुओं की उत्पादकता बढाने हेतु भारत सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई अनेक योजनाओं को जाता है विश्व में सर्वाधिक दूध उत्पादन करने वाला देश बन गया है।

श्री सिंह ने कहा कि 2013-14 में दूध उत्पादन करीब 137.7 मिलियन टन दूध का उत्पादन हुआ था, वह बढकर वर्ष 2016-17 में 163.6 मिलियन टन हो गया है। वर्ष 2013-14 की तुलना में 2016-17 की अवधि में दुग्ध उत्पादन में 18.81% की वृद्धि हुई है। इसी तरह प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता वर्ष 2013-14 में 307 से बढ़कर वर्ष 2016-17 में 351 ग्राम हो गई है। वर्ष 2011-14 के बीच दूध उत्पादन की वार्षिक वृद्धि दर 4% थी जोकि अब 2014-17 में 6% हो गई है। जबकि विश्व में दूध उत्पादन की वार्षिक वृद्धि दर 2014-17 में 2% रही।

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि भूमिहीन एवं सीमांत किसानों के लिए डेयरी व्यवसाय उनके जीवनयापन एवं सुरक्षा चक्र प्रदान करने का जरिया बन गया है। करीब 7 करोड ऐसे ग्रामीण किसान परिवार डेयरी व्यवसाय से जुडे हुए है जिनके पास कुल गायों की 80% आबादी है। उन्होंने बताया कि कामकाज करने वाली महिलाओं का 70% हिस्सा (करीब 44 लाख) डेयरी व्यवसाय में कार्य कर रहा है।

श्री सिंह ने कहा कि रू 10881 करोड़ की डेयरी प्रसंस्करण एवं अवसंरचना विकास कोष (डीआईडीएफ) योजना का क्रियान्वयान किया जा रहा है जिसके अंतर्गत अतिरिक्त दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता तथा बल्क मिल्क कूलर के माध्यम से दुग्ध अवशीतन क्षमता का सृजन किया जाएगा। साथ ही इलेक्ट्रानिक दुग्ध मिलावट परिक्षण उपकरण एवं दूध को मूल्य वर्धित दुग्ध पदार्थों में परिवर्तित करने की क्षमता का भी प्रावधान रखा गया है।

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने हेतु हमारी कार्यप्रणाली में धीरे धीरे आधुनिक तकनीक सहित वातावरण का समावेश करने हेतु एक राष्ट्रीय कार्य योजना विजन 2022 की रचना कर रहे हैं, जिसमे संगठित क्षेत्र द्वारा गाँवो एवं दुग्ध उत्पादकों की संख्या के साथ साथ दुग्ध उत्पादन में लगातार बढोतरी को मद्देनजर रखते हुए दुग्ध प्रसंस्करण एव मूल्य वर्धित दुग्ध पदार्थों की मांग को पूर्ण करने हेतु अतिरिक्त अवसंरचना के लिए समुचित वित्तिय प्रावधान रखे गए है। इस योजना का मुख्य लक्ष्य दुग्ध उत्पादकों की आय को दोगुना करने का है।



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