प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल की समिति (सीसीईए) ने किसानों की आय को जबरदस्त प्रोत्साहन देते हुए वर्ष 2018-19 के लिए सभी खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दी है।
सीसीईए का यह निर्णय ऐतिहासिक है क्योंकि यह केंद्रीय बजट 2018-19 में घोषित एमएसपी को उत्पादन लागत के मुकाबले कम से कम 150 प्रतिशत रखने के पूर्व निर्धारित सिद्धांत के वादे को पूरा करता है। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने सभी खरीफ फसलों के लिए एमएसपी की सिफारिश की है जो काफी हद तक घोषित सिद्धांत के अनुरूप है।
विवरण :
बजट 2018-19 में 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य को हासिल करने के लिए जरूरी कृषि नीति में बदलाव करने का संकेत दिया गया था। बजट में बेहतर आय सृजन के जरिए किसानों की आय बढ़ाने पर जोर दिया गया था। नाइजर सीड (काला तिल) न्यूनतम समर्थन मूल्य में 1827 प्रति क्विंटल, मूंग के एमएसपी में 1400 रुपये प्रति क्विंटल, सूरजमुखी बीज के एमएसपी में 1288 रुपये प्रति क्विंटल और कपास के एमएसपी में 1130 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि अप्रत्याशित है।
अनाज एवं पोषक अनाजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में शुद्ध वृद्धि के लिहाज से धान (सामान्य) के एमएसपी में 200 रुपये प्रति क्विंटल, ज्वार (हाईब्रिड) में 730 रुपये प्रति क्विंटल और रागी में 997 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई। पिछले साल के मुकाबले एमएसपी में सबसे अधिक प्रतिशत वृद्धि रागी (52.47 प्रतिशत) रागी में की गई है और उसके बाद दूसरे नंबर पर ज्वार हाइब्रिड (42.94 प्रतिशत) है। दलहन में मूंग के अलावा अरहड़ (तुअर)के एमएसपी में 225 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है जिससे लागत के मुकाबले रिटर्न में 65.36 प्रतिशत की वृद्धि होगी और उड़द के एमएसपी में लागत के मुकाबले रिटर्न में 62.89 प्रतिशत की वृद्धि के लिए 220 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है ताकि फसलों के मूल्य में अंतर को कम किया जा सके। इसी प्रकार बाजरे के एमएसपी में 525 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है ताकि लागत के मुकाबले रिटर्न में 96.97 प्रतिशत की वृद्धि हो सके।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) एवं अन्य प्राधिकृत राज्य एजेंसियां पोषक अनाज सहित अन्य अनाजों के लिए किसानों को मूल्य समर्थन जारी रखेंगे। भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड), एफसीआई, स्मॉल फारमर्स एग्री-बिजनेस कंसोर्टियम (एसएफएसी) एवं अन्य प्राधिकृत केंद्रीय एजेंसियां दलहन एवं तिलहन की खरीदारी जारी रखेंगे। भारतीय कपास निगम (सीसीआई) कपास के समर्थन मूल्य की निगरानी के लिए नोडल एजेंसी होगा।
दलहन की खेती को बढ़ावा दिए जाने से भारत को पोषण असुरक्षा से निपटने, मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ने से उर्वरता बढ़ाने और किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस प्रकार दलहन के एमएसपी में बढ़ोतरी से किसानों की प्रति एकड़ आय में वृद्धि सुनिश्चित होगी। इसके अलावा एमएसपी में वृद्धि से तिलहन के उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा और उसके उत्पादन में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही इससे भारत को अपना आयात बिल घटाने में भी मदद मिलेगी। पोषक अनाजों के न्यूनतम मूल्य वृद्धि से पोषण सुरक्षा और किसानों की आय में सुधार होगा।
Source: http://pib.nic.in/