प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के अंतर्गत समर्पित “सूक्ष्म सिंचाई कोष”(एमआईएफ) स्थापित करने के लिए नाबार्ड के साथ 5,000 करोड़ रुपये की आरंभिक राशि देने की मंजूरी दे दी है।
विवरण:
आवंटित 2,000 करोड़ रुपये और 3,000 करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल क्रमश: 2018-19 और 2019-20 के दौरान किया जाएगा। नाबार्ड इस अवधि के दौरान राज्य सरकारों को ऋण का भुगतान करेगा। नाबार्ड से प्राप्त ऋण राशि दो वर्ष की छूट अवधि सहित सात वर्ष में लौटाई जा सकेगी।
एमआईएफ के अंतर्गत ऋण की प्रस्तावित दर 3 प्रतिशत रखी गई है जो नाबार्ड द्वारा धनराशि जुटाने की लागत से कम है।
इसके खर्च को वर्तमान दिशा-निर्देशों में संशोधन करके वर्तमान पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी योजना से पूरा किया जा सकता है।
इसका ब्याज दर सहायता पर कुल वित्तीय प्रभाव करीब 750 करोड़ रुपये होगा।
लाभ:
समर्पित सूक्ष्म सिंचाई कोष प्रभावशाली तरीके से और समय पर प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप घटक (पीडीएमसी) के प्रयासों में वृद्धि करेगा।
सूक्ष्म सिंचाई तक पहुंच एमआईएफ, नवोन्मेष यौगिक/जिन्स/सामाजिक/क्लस्टर आधारित सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं/ प्रस्तावों के लिए अतिरिक्त निवेश से करीब दस लाख हेक्टेयर जमीन इसके अंदर आएगी।
इस कोष से सचिवों के समूह की सिफारिश के अनुसार पीएमकेएसवाई के पर ड्रॉप मोर क्रॉप घटक के अंतर्गत 14वें वित्त आयोग की शेष अवधि के दौरान करीब 2 मिलियन हेक्टेयर/वर्ष के वार्षिक लक्ष्य को हासिल करने के लिए पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी के कार्यान्वयन में अतिरिक्त (टॉप अप सब्सिडी) सहित राज्यों को अपनी पहलों के लिए संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी।
कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य:
राज्यपीएमकेएसवाई-पीडीएमसी दिशा-निर्देशों के अंतर्गत उपलब्ध अतिरिक्त (टॉप अप) सब्सिडी के जरिए सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहन तथा अतिरिक्त क्षेत्र को शामिल करने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड की परियोजनाओं सहित नवोन्मेष संबंधित परियोजनाओं के लिए एमआईएफ तक पहुंच सकते हैं। यह पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी में राज्य के हिस्से की एवजी नहीं होनी चाहिए।
किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ)/सहकारिताएं/ राज्य स्तर की एजेंसियों की भी राज्य सरकार की गारंटी के साथ कोषों तक पहुंच हो सकती है अथवा वे समान भागीदार हो सकते हैं। किसान सहकारिताओं की नवोन्मेष क्लस्टर आधारित सामुदायिक सिंचाई परियोजना तक पहुंच हो सकती है।
राज्य सरकारों की परियोजनाओं/प्रस्तावों की जांच और मंजूरी (कुल व्यय, राज्य के लिए पात्र ऋण राशि और चरण), समन्वय और निगरानी के लिए स्थायी समिति के साथ नीति संबंधी निर्देश प्रदान करने और प्रभावी योजना, समन्वय और निगरानी सुनिश्चित करने के लिए एक सलाहकार समिति बनाई गई है ताकि मंजूर की गई लागत के भीतर सहायता परियोजनाओं/प्रस्तावों को एक निश्चित समय के भीतर कार्यान्वित किया जा सके।
कवरेज़:
मंजूरी की देश भर में विस्तृत सूचना होनी चाहिए। एमआईएफ के परिचालन के साथ यह उम्मीद की जाती है कि ऐसे राज्य को सूक्ष्म सिंचाई अपनाने में पीछे चल रहे हैं उन्हें किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए धनराशि का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया जाएगा जैसाकि अच्छा प्रदर्शन कर रहे राज्यों द्वारा किया जा रहा है। साथ ही, राज्यों द्वारा हाथ में ली जाने समुदायों द्वारा चलित औरनवोन्मेष परियोजनाओं में सूक्ष्म सिंचाई के लिए अतिरिक्त सूचना होगी।
औचित्य:
सूक्ष्म सिंचाई पर कार्य बल ने सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत 69.5 मिलियन हेक्टेयर की संभावना का अनुमान लगाया है, जबकि अब तक आवृत्त क्षेत्र केवल करीब 10 मिलियन हेक्टेयर (14 प्रतिशत) है। इसके अलावा सचिवों के समूह, 2017 ने अगले पांच वर्ष में सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत 10 मिलियन हेक्टेयर के लक्ष्य पर जोर दिया है जिसके लिए कार्यान्वयन की गति की वर्तमान तुलना में करीब 1 मिलियन हेक्टेयर की अतिरिक्त वार्षिक कवरेज़ की जरूरत होगी। इसे पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी और एमआईएफ के संसाधनों के प्रभावी इस्तेमाल से किसी भी अथवा दोनों में निम्नलिखित तरीके से कार्यान्वित किया जा सकता है:
विशेष और नवोन्मेष परियोजनाओं को हाथ में लेकर सूक्ष्म सिंचाई के दायरे का विस्तार करने के लिए संसाधन जुटाने में राज्यों को आगे बढाना।
सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों को स्थापित करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित के उद्देश्य से पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी के अंतर्गत उपलब्ध प्रावधानों के अलावा सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहित करना।
Source: http://pib.nic.in/