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सरकार किसानों द्वारा पराली जलाने को रोकने का भरपूर प्रयास कर रही है : श्री राधा मोहन सिंह

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि सरकार किसानों द्वारा पराली जलाने को रोकने के पूरे प्रयास कर रही है। साथ ही किसानों को फसल के अवशेषों के मशीनों द्वारा प्रबंधन के लिए आर्थिक सहायता भी दी जा रही है। एक नयी पहल के रूप में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में फसल अवशेषों के यथास्थान प्रबंधन के लिए कृषि मशीनरी प्रोत्साहन योजना चलाई जा रही है। इसके लिए केन्द्रीय निधियों से कुल खर्च 1151.80 करोड़ रुपये रखा गया है।

श्री राधा मोहन सिंह ने आज नई दिल्ली में ‘अपशिष्ट से सम्पत्ति’ विषय पर निबंध लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं के लिए आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि फसल के अपशिष्टों के प्रबंधन के कई नये विकल्प मौजूद हैं, जिनमें खाद बनाना, पशुओं का चारा तैयार करना, ईंधन और कई अन्य उत्पाद बनाने में इसका इस्तेमाल करना आदि शामिल हैं। इन विकल्पों से न केवल कृषि कचरे का उत्तम प्रबंधन होता है, बल्कि इससे किसानों को अतिरिक्त आय भी प्राप्त होती है।

कृषि मंत्री ने बताया कि कृषि और कृषि उद्यमों से लाखों टन कचरा और अवशेष निकलता है। आंकड़ो के अनुसार इस अवशेष का 70 प्रतिशत भाग औद्योगिक क्षेत्रों में और घरेलू ईंधन के रूप में उपयोग कर लिया जाता है। शेष अवशेषों को बायो-ईंधन और बिजली उत्पादन में बदला जा सकता है। कई अध्ययनों से पता चला है कि बायो-ईंधन, बायो-डीजल और बायो-इथेनॉल को सहायक ईंधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। कारगर प्रबंधन से कृषि कचरे को सम्पत्ति के रूप में बदला जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि इस प्रतिस्पर्धा का आयोजन महात्मा गांधी की 150वीं जन्मशती मनाने के सिलसिले में किया गया था। इसमें तीन श्रेणियां थीं – पहली श्रेणी में सातवीं से बाहरवीं कक्षा के छात्रों ने; दूसरी श्रेणी में स्नातक और उसके समकक्ष छात्रों ने तथा तीसरी श्रेणी में स्नातकोतर व अन्य शोधार्थियों ने हिंदी और अंग्रेजी, दोनों भाषाओं में निबंध भेजे। इस तरह मंत्रालय के पास दोनों भाषाओं में पूरे देश से कुल 1399 निबंध प्राप्त हुए, जिनका मूल्यांकन तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति द्वारा किया गया। मूल्यांकन के बाद कुल 24 विजेता (11 छात्राएं, 13 छात्र) घोषित किए गये, जिन्हें आज पुरस्कार प्रदान किया गया।

Source: http://pib.nic.in



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