केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि पिछले तीन वर्षों में सरकार द्वारा उठाई गईं अनेक नीतिगत पहलों के परिणामस्वरूप मौजूदा वर्ष में देश में खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। वर्ष 2017-18 के लिए देश में कुल 275.68 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ है जो कि वर्ष 2013-14 में हासिल 265.04 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 10.64 मिलियन टन (लगभग 4 प्रतिशत) ज्यादा है। वर्तमान वर्ष का उत्पादन 2011-12 से 2015-16 के औसत खाद्यान्न उत्पादन के मुकाबले लगभग 19 मिलियन टन ज्यादा है।
बागवानी फसलें जिनका पोषणिक सुरक्षा में अहम योगदान है, का भी वर्ष 2016-17 में रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है जो कि 300 के आंकडे को पार करके 305 मिलियन टन हो गया है जो कि पिछले साल के मुकाबले 4.8 प्रतिशत ज्यादा है। फलों का उत्पादन 93 मिलियन टन और सब्जी उत्पादन 178 मिलियन टन के आंकडे को पार कर गया है। इस उपलब्धि को हासिल करने में कृषि विश्वविद्यालयों एवं आईसीएआर द्वारा विकसित उन्नत तकनीकों का विशेष योगदान है।
कृषि मंत्री ने आगे कहा कि राज्य कृषि विश्वविद्यालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि को अधिक टिकाऊ और लाभप्रद बनाने के लिए बाधाओं को दूर करने के लिए तैयार हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि अनेक चुनौतियों के बावजूद कृषि विश्वविद्यालय एवं आईसीएआर प्रणाली द्वारा समय समय पर अनेक उल्लेखनीय सफलताएं हासिल की गईं हैं जिनसे देश की कृषि व्यवस्था और कृषि उत्पादन को बढ़ाने में मदद मिली है। इन उपलब्धियों में मुख्यतया: उत्पादन और उत्पादकता में बढ़ोतरी करना शामिल है जिससे किसानों विशेषकर छोटे व सीमांत किसानों की आय में वृद्धि होना शामिल है।
माननीय प्रधान मंत्री जी के विजन ''वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करना'' को ध्यान में रखते हुए इस प्रणाली द्वारा इस दिशा में अग्रणीय कदम उठाये गये हैं। वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के संकल्प को साकार करने की दिशा में कृषि विश्वविद्यालयों एवं आईसीएआर संस्थानों ने विभिन्न राज्य एवं केन्द्रीय एजेन्सियों के साथ समन्वय स्थापित करके एक कदम आगे बढ़ाते हुए विभिन्न राज्यों के लिए ''वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने हेतु रणनीति दस्तावेज (Strategy Dcouments on Doubling Farmer's Income by 2022 for Different States)" को तैयार करके जारी किया है। इसकी मदद से निश्चित रूप से कृषि की प्रगति और किसानों की खुशहाली को बढ़ाने में मदद मिलेगी । इसके अतिरिक्त, नई तकनीकों का विकास करना, एकीकृत कृषि प्रणाली, संस्थान निर्माण, मानव संसाधन, कृषि का विविधीकरण, नए अवसर पैदा करना तथा जानकारी के नए स्रोतों का विकास करने पर भी विशेष बल दिया गया है।
आईसीएआर द्वारा कुल 623 जिला आकस्मिकता योजनाओं को विकसित करके उनका प्रमाणन किया गया और लगभग 40.9 लाख किसानों के लिए कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित किए गए। भारत सरकार की पहल ''सॉयल हैल्थ कार्ड'' को सहयोग करने में मिट्टी की जांच के लिए एक मिनीलैब 'मृदापरीक्षक'' का विकास किया गया। कृषि विश्वविद्यालयों एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा देशभर में फैले कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से 29 राज्यों में जलवायु अनुकूल तकनीकों को प्रदर्शित किया जा रहा है और उन्हें बढ़ावा दिया जा रहा है। अभी तक कुल 42 जैविक कृषि प्रौद्योगिकियां विकसित की गईं हैं जिनका कि परीक्षण किया गया और इनमें और सुधार किया जा रहा है। इसके साथ कृषि शिक्षा,कृषि अनुसंधान, कृषि विस्तार, संकल्प से सिद्धि, मेरा गांव, मेरा गौरव, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, प्रोद्योगिकी हस्तांतरण, सूचना प्रोद्योगिकी के मोर्चे पर भी तेजी से काम किया जा रहा है।
Source: http://pib.nic.in