केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि नस्ल पंजीकरण अपने देश के इस अपार पशु आनुवंशिक संसाधन तथा उनसे संबंधित ज्ञान व सूचना का प्रलेखन (डोक्मेंटेशन) करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे कि हम अपने आनुवंशिक संसाधनों की एक इन्वेंटरी तैयार कर सकें एवम इन संसाधनों का आनुवंशिक सुधार, संरक्षण एवं सतत उपयोग हो सके। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने यह बात नई दिल्ली में पशु नस्ल पंजीकरण प्रमाण पत्र पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर कही।
श्री सिंह ने कहा कि भारत में विविध उपयोग, जलवायु एवं पारिस्थितिकी क्षेत्र होने के कारण विभिन्न पशुधन प्रजातियों की बड़ी संख्या में नस्लें विकसित हुई है । देश में आज 512 मिलियन पशुधन व 729 मिलियन कुक्कुट है। वर्तमान में, भारत में पशुओं और मुर्गियों की 169 पंजीकृत नस्लें हैं, जिसमें पशुधन में गाय की 41, भैंस की 13, भेड़ की 42, बकरी की 28, घोड़े की 7, सुअर की 7, ऊंट की 9, गधे एवं याक की 1-1 और कुक्कुट समुदाय में मुर्गी की 18 एवं बत्तख व गीज की 1-1 नस्लें शामिल हैं। यह महत्वपूर्ण है कि पहली बार याक, बत्तख व गीज की नस्लें भी पंजीकृत की गयी हैं ।
श्री सिंह ने कहा कि जैव विविधता सम्मेलन (सीबीडी) के तहत आनुवंशिक संसाधनों पर राष्ट्रीय संप्रभुता के नए युग के आगमन पर पशुओं और मुर्गियों की नस्लों का वर्णन और सूचीबद्ध करने के लिए एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता उत्पन्न हुई है । विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और बौद्धिक संपदा अधिकारों के वैश्विक परिदृश्य में स्थानीय पशु आनुवंशिक विविधता की रक्षा करने की जरूरत है । प्रत्येक देश की पशु आनुवंशिक संसाधन की विविधता, वितरण, बुनियादी विशेषताओं, तुलनात्मक प्रदर्शन और वर्तमान स्थिति को समझना उनके कुशल और सतत उपयोग, विकास और संरक्षण के लिए आवश्यक है ।
पूर्ण राष्ट्रीय सूची और रुझानों और जुड़े जोखिम की समय समय पर निगरानी, पशु आनुवंशिक संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन के लिए एक बुनियादी आवश्यकता है । इस तरह की जानकारी के बिना, उनके मूल्य मान्यता की जानकारी होने एवं उन्हें संरक्षित करने के लिए उठाए गए उपायों से पहले ही कुछ नस्ल आबादी में काफी गिरावट आ सकती है।
Source: http://pib.nic.in/