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भारत में 2014-17 के दौरान ‘समग्र मत्स्य-उत्पादन’ मे लगभग 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

भारत विश्व में मछली उत्पादन में दूसरे स्थान पर बना हुआ है। समग्र मछली-उत्पादन 1950-51 के 7.5 लाख टन से बढ़कर 2016-17 में 114.1 लाख टन हो गया है। साथ ही इस क्षेत्र से देश के डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। यह बातें केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने पणजी, गोवा में आयोजित “एक्वा गोवा वृहद मत्स्य उत्सव, 2017” के मौके पर कही।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि भारत में मात्स्यिकी एक तेजी से उभरता हुआ सेक्टर है, जो देश की एक बड़ी आबादी को पोषण-युक्त भोजन तथा खाद्य-सुरक्षा प्रदान करता है और उसके साथ मछुआरों और मछली-पालकों को आय और रोजगार भी प्रदान करता है। भारत में मात्स्यिकी सेक्टर का विकास केवल देश की प्रोटीन आवश्यकताओं को पूरा करने के अलावा यह विश्व के मत्स्य उत्पादन में भी लगभग 6.2 प्रतिशत का महत्वपूर्ण योगदान करता है।

श्री सिंह ने आगे कहा कि वर्ष 2011-12, 12-13 एवम 13-14 के मत्स्य-उत्पादन की तुलना पिछ्ले तीन वर्ष 2014-15, 15-16 और 16-17 से करने पर पता चलता है कि पिछ्ले तीन वर्षो के दौरान ‘समग्र मत्स्य-उत्पादन’ मे लगभग 19 प्रतिशत की वृद्धि दर प्राप्त की है। जहाँ समुद्री-मात्स्यिकी मे लगभग 6.65 प्रतिशत की वृद्धि -दर प्राप्त की गयी है, जबकि इनलैंड मात्स्यिकी मे देश ने 26.07 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने इस बात पर खुशी जताई कि 2016-17 के दौरान देश को मत्स्य-उत्पादों के निर्यात के माध्यम से अब तक की सबसे अधिक 5.78 बिलियन अमरीकी डॉलर (अर्थात 37,871 करोड़ रूपए) की विदेशी मुद्रा अर्जित हुई है।

भारत सरकार ने पारम्परिक मछुवारो को ‘डीप-सी फिशिंग’ मे आगे बढ़ाने के लिये महत्वपूर्ण कदम उठाते हुये 9 मार्च, 2017 को नीली क्रांति योजना के अंतर्गत एक नया घटक जोड़ा है, जिसके अंतर्गत रु 80 लाख मूल्य वाली आधुनिक तकनीकी वाली डीप-सी फिशिंग नौकाये उपलब्ध कराने में, पारंपरिक मछुवारो को, उनके स्वंय सहायता समूहो, सोसायटी, या संगठनों को भारत सरकार द्वारा 50 प्रतिशत अर्थात रु.40 लाख तक की वित्तीय सहायता दी जायेगी।



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