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खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि के अलावा सरकार ने किसानों के अनुकूल कई अन्य पहल की है

खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि के अलावा सरकार ने किसानों के अनुकूल कई अन्य पहल की है जो इस प्रकार हैं -
- परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के तहत सरकार जैविक कृषि और जैविक उत्पादों के लिए संभावित विकसित करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

- सरकार ने दालों का एक बफर स्टॉक भी तैयार किया है और मूल्य स्थिरीकरण फंड (पीएसएफ) के तहत दालों घरेलू खरीदारी भी कर रही है खासकर उपभोक्ता सुरक्षा की दृष्टि से बजट 2018-19 में संकेत दिया गया था कि केवल एमएसपी में वृद्धि पर्याप्त नहीं है बल्कि किसानों को घोषित एमएसपी का पूरा फायदा मिलना चाहिए। इसके लिए यह आवश्यक है कि यदि कृषि उत्पादों का मूल्य घोषित एमएसपी से कम होगा तो सरकार को एमएसपी दर पर खरीदारी करनी चाहिए अथवा ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए ताकि उन्हें घोषित एमएसपी मिल सके। केंद्र एवं राज्य सरकारों से परामर्श के साथ नीति आयोग इसके लिए एक उपयुक्त ढांचा तैयार करेगा ताकि किसानों को उनकी उपज का उपयुक्त मूल्य मिल सके।

- सरकार ने किसानों को बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने के क्रम में एक साझा ई-मार्केट प्लेटफॉर्म के साथ 585 विनियमित बाजारों को एकीकृत करने के उद्देश्य से ‘नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट’ (एनएएम) के तहत देश भर में इलेक्ट्रोनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म विकसित करने के लिए एक योजना भी शुरू की है। प्रत्येक राज्य को तीन प्रमुख सुधारों की शुरूआत करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसमें इलेक्ट्रोनिक ट्रेडिेंग की अनुमति, पूरे राज्य में एकल लाइसेंस की वैधताऔर बाजार में प्रवेश के लिए एकल शुल्क शामिल है। इससे किसानों को अपनी उपज के लिए बेहतर मूल्य तलाशने में भी मदद मिलेगी। 23 मार्च, 2018 तक 16 राज्यों एवं 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 585 बाजारों को ई-एनएएम प्लेटफॉर्म से पहले ही जोड़ा जा चुका है।

- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को ‘हर खेत को पानी’ के लिए सिंचाई कवरेज में विस्तार के उद्देश्य के साथ लागू किया गया है। इसके तहत ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ के उद्देश्य के साथ जल के उपयोग की कुशलता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। स्रोत के सृजन, वितरण, प्रबंधनएवं विस्तार संबंधी अन्य गतिविधियों के लिए आद्योपांत समाधान उपलब्ध कराया जा रहा है।

- देश भर में किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए जा रहे हैं। प्रत्येक दो साल बाद इन कार्डों का नवीनीकरण किया जाएगा। यह कार्ड भूमि की उर्वरता की स्थिति के बारे में सूचना उपलब्ध कराएगा और मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरकों के इस्तेमाल की सलाह देगा। 25 जून, 2018 तक 15.14 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जा चुके हैं।

- सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत चावल, गेहूं, मोटे अनाज और दलहन जैसे फसलों की उत्पादकता एवं उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

- समर्पित ऑनलाइन इंटरफेस ई-कृषि संवाद किसानों की समस्या के लिए प्रत्यक्ष एवं प्रभावी समाधान उपलब्ध करा रहा है।

- सरकार किसान उत्पादक संगठन तैयार करने के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है। बजट 2018-19 के तहत किसान उत्पादक संगठनों को अनुकूल कराधान उपलब्ध कराया गया है ताकि किसानों को इनपुट जरूरतों, कृषि सेवाओं, प्रसंस्करण एवं बिक्री परिचालन में मदद मिल सके।

- मौजूदा एपीएमसी के विनियमित बाजार दायरे के बाहर किसानों को बाजार का विकल्प मुहैया कराने के लिए सरकार एक नया कानून एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस एंड लाइवस्टॉक मार्केटिंग (प्रोमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2017 भी तैयार किया है।

- किसानों द्वारा भुगतान की जाने वाली प्रीमियम की दरें कम हैं – सभी खरीफ फसलों के लिए यह कुल बीमित रकम का 2 प्रतिशत, सभी रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत औरनकदी फसलों के लिए 5 प्रतिशत है। साथ ही मोबाइल फोन एवं रिमोट सेंसिंग जैसी स्मार्ट प्रौद्योगिकी के जरिए तत्काल आंकलन एवं दावों का जल्द निपटारा। सरकार ने फसल बीमा के लिए एक मोबाइल ऐप भी जारी किया है जो किसानों को उनके क्षेत्र में उपलब्ध बीमा कवर के बारे में पूरी जानकारी हासिल करने में मदद करेगा। साथ ही वे इसके जरिए अधिसूचित फसलों के लिए बीमा प्रीमियम की गणना कर सकेंगे।

- महिला किसानों के लिए पुस्तिका-फार्म वुमेन फ्रेंडली हैंड बुक- में विशेष प्रावधानों एवं पैकेज सहायता की जानकारी दी गई है। महिला किसान कृषि विभाग की विभिन्न किसान कल्याण योजनाओं का फायदा उठा सकती हैं।

इस सब उपायों के साथ सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है।



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